राम की नगरी अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन को लेकर अब मात्र आठ दिन का समय बचा है, और जिसकी तैयारियां भी अपने अंतिम चरण में है, लेकिन इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर एक बार फिर विवाद हो गया है, निर्वाणी छावनी के महंत धर्मदास ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लीगल नोटिस भेजा कर बताया है कि राम जन्मभूमि विवाद की कानूनी लड़ाई में निर्वाणी अखाड़े का अहम रोल है, निर्वाणी अखाडे़ के महंत धर्मदास ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में निर्वाणी अखाड़े को शामिल करने की मांग की है, नोटिस में महंत धर्मदास ने कहा कि 2 महीने के भीतर उन्हें नए राम मंदिर में पुजारी की भूमिका में लिए जाने का फैसला किया जाए, वहीं निर्वाणी अखाडे़ के महंत धर्मदाल ने कहा कि अगर उनकी मांग पर विचार नहीं किया जाता है, तो वह आगे कानूनी कार्रवाई करेंगे, आपको बता दें कि राम मंदिर को लेकर कानूनी लड़ाई के दौरान निर्वाणी अखाड़ा भी पैरोंकारों में शामिल था, इसलिए मंहत धर्मदास ने राम मंदिर के पुजारी की गद्दी पर अपना दावा किया है, दरअसल अयोध्या जमीन विवाद पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था, जिस पर केंद्र सरकार की ओर से 15 सदस्यीय ट्रस्ट का गठन किया गया था, इस ट्रस्ट का नाम ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ रखा गया है, यह ट्रस्ट राम मंदिर निर्माण और उसकी व्यवस्थाओं की की जिम्मेदारी देखेगा, इस ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास हैं, चंपत राय को महासचिव बनाए गए है, नृपेंद्र मिश्रा को भवन निर्माण समिति का चेयरमैन नियुक्त किया गया है, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी है, मंदिर विवाद में हिंदू पक्ष के मुख्य वकील रहे परासरन को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी बनाया गया है, ट्रस्ट में एक शंकराचार्य समेत 5 धर्मगुरु ट्रस्ट में सदस्य के रुप में शामिल हैं, अयोध्या के पूर्व शाही परिवार के राजा विमलेंद्र प्रताप मिश्रा, अयोध्या के ही होम्योपैथी डॉक्टर अनिल मिश्रा और कलेक्टर को ट्रस्टी बनाया गया है |