आदित्य/प्रयागराज: पति की गंभीर बीमारी से परेशान एक पत्नी को बड़ी राहत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी को पति का संरक्षक बनाया दिया, यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने प्रयागराज की उमा मित्तल और अन्य की याचिका पर दिया, पति के इलाज के चलते खर्च से परेशान पत्नी उमा मित्तल ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था, इस मामले में कोई विशेष कानून उपलब्ध नहीं है, लिहाजा हाईकोर्ट ने अनुच्छेद 226 में प्राप्त अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पत्नी के पक्ष में आदेश दिया है, इस आदेश से पत्नी को पति के बैंक खातों के संचालक और संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार प्राप्त हो गया है, हालांकि कोर्ट ने कहा है कि याची महानिबंधक की पूर्व अनुमति के बिना पति की अचल संपत्ति नहीं बेच सकेगी, लेकिन उसे मकान खाली कराने और किराए पर उठाने की छूट होगी, वह पति की संपत्ति से इलाज कराने के अलावा अपनी दो बेटियों की शादी का खर्च कर सकेगी, उसे पति की तरफ से निर्णय लेने और हस्ताक्षर करने का अधिकार होगा, खंडपीठ ने कहा कि परिवार का पालन करने वाला मुखिया डेढ़ साल से कोमा में है, पत्नी उमा रिश्तेदारों और मित्रों से उधार लेकर पति का इलाज करा रही हैं, पति के बैंक में पैसे व संपत्ति होने के बावजूद पत्नी कानूनी अड़चन के चलते उनका उपयोग नहीं कर पा रही है, सीएमओ की रिपोर्ट देखने के बाद हाईकोर्ट ने पति की मानसिक स्थिति को लेकर सीएमओ प्रयागराज के नेतृत्व में डॉक्टरों की मेडिकल रिपोर्ट देखी, जिसमें कोमा की पुष्टि की गई है, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि याची के पति स्वयं कार्य करने लायक नहीं होते, तब तक वह संरक्षक का दायित्व पूरा करेगी और हर 6 महीने पर मेडिकल की स्थिति और पति की संपत्ति के विनियमन की रिपोर्ट महानिबंधक को देती रहेगी, आपको बता दें कि याची के पति सुनील कुमार मित्तल 22 दिसंबर 2018 को बेहोश होकर बाथरूम में गिर गए थे, जिसके बाद सिर में चोट लगने से वह अब तक बेहोशी की हालत में हैं |
