देश में नई शिक्षा नीति को मंजूरी मंजूरी मिल गई है, मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया, कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों पर जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है, जिसमें स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं, मानव संसाधन मंत्रालय को फिर से शिक्षा मंत्रालय के नाम से जाना जाएगा, पहले इस मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय ही था, साल 1985 में इसे बदलकर मानव संसाधन मंत्रालय नाम दिया गया था, नई शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां बनाई थीं, एक टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और दूसरी डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थी, जिस देशभर में एक व्यापक चर्चा की गई है, 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई, जिसमें लोगों से सलाह ली गई कि आप नई नीति में क्या बदलाव चाहते हैं, सरकार की ओर से बताया गया कि आज की व्यवस्था में 4 साल इंजीनियरिंग पढ़ने के बाद या 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है, तो उसके पास कोई उपाय नहीं है, छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है, नए सिस्टम में ये रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी, आर्थिक या अन्य कारण से जो लोग ड्रॉप आउट हो जाते हैं, वो वापस सिस्टम में आ सकते हैं इसके अलावा जो अलग-अलग विषयों में रूचि रखते हैं, जैसे जो म्यूजिक में रूचि रखते हैं, लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है, नई शिक्षा नीति में मेजर और माइनर के माध्यम से ये व्यवस्था रहेगी, उच्च शिक्षा में हम 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो में 50% तक पहुंचेंगे, इसके लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लाया जा रहा है |