अमितेंद्र श्रीवास्तव/प्रतापगढ़: अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर शिलान्यास के साथ ही अब मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरु हो रही है, करीब पांच शताब्दी के लंबे संघर्ष के बाद यह अवसर आया है, मंदिर आंदोलन में हजारों बलिदान हुए जिनकी बदलौत अब मंदिर निर्माण शुरू हो रहा है, इस अवसर पर राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के अहम नायकों में कृष्ण करुणाकर नायर भी थे।
11 सितंबर 1907 को केरल के एलेप्पी में जन्मे केके नायर की शिक्षा दीक्षा मद्रास और लंदन में हुई थी। 1930 में केके नायर आईसीएस बने और उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर कलेक्टर रहे, 1 जून 1949 को उन्हें फैजाबाद का कलेक्टर बनाया गया, उनके कलेक्टर रहते हुए 22- 23 दिसंबर 1949 की रात को इसी स्थान पर रामलला का प्राकट्य हुआ, और 23 दिसंबर को प्रातः काल बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ तथाकथित बाबरी मस्जिद पर रामलला का दर्शन करने के लिए एकत्र होने लगी, वास्तव में यह भी बड़ा शिलान्यास था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उप प्रधानमंत्री तथा गृह मन्त्री सरदार पटेल ने उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत और यूपी के गृहमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री को कहा कि किसी भी स्थिति में रामलला की प्रतिमा उस स्थान से तत्काल हटा दी जानी चाहिए।मुख्यमंत्री पन्त और शास्त्री ने कलेक्टर के के नायर को प्रतिमा हटाने का आदेश दिया लेकिन उन्होंने प्रतिमा हटाने से इंकार कर दिया, तो जवाहरलाल नेहरू ने प्रतिमा हटाने के लिए उनको सीधे आदेश दिया, लेकिन के के नायर टस से मस नहीं हुए और उन्होंने प्रतिमा हटाने से साफ इनकार कर दिया, केके नायर को सस्पेंड कर दिया गया, तो उन्होंने इसको इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दिया और उनका निलंबन उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया, लेकिन नायर न आगे नौकरी करने से इंकार कर दिया और स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति होकर 1952 में उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरु कर दी, फैजाबाद जिलाधिकारी रहने के दौरान के के नायर की मुलाकात हिंदुत्व और गो रक्षा के पुरोधा स्वामी करपात्री जी महाराज और गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ से हुई, के के नायर ने इन दोनों की मुलाकात गोंडा जनपद के बलरामपुर रियासत के तत्कालीन राजा पाटेश्वरी प्रसाद सिंह से कराई, इसी मुलाकात ने राजा बलरामपुर के किले से राम जन्म भूमि आंदोलन की नींव रखी गई, बाद में पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल जी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने जनसंघ की सदस्यता ले ली, के के नायर 1967 में बहराइच से भारतीय जनसंघ के टिकट पर सांसद चुने गए, 7 सितंबर 1977 को उनका निधन हुआ, आज जब पूरा देश रामजन्म भूमि अयोध्या में भव्य मन्दिर के निर्माण को लेकर जश्न में डूबा है, हमे कृष्ण करूणाकर नायर और उनकी कुर्बानियों को जानना जरूरी है, नायर साहब के योगदान को कभी भूला नहीं जा सकता है, उनके संघर्ष का ही नतीजा है कि सैकड़ों वर्षों बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का स्वप्न साकार होने जा रहा है।