अमितेन्द्र श्रीवास्तव/प्रतापगढ़: आज देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया राम जन्म भूमि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की आधारशिला रखे जाने को लेकर उत्साहित है, भगवान् राम का प्रतापगढ़ से भी ख़ास रिश्ता माना जाता है, कहा जाता है भगवान् राम वन गमन के समय प्रतापगढ़ के सई नदी को पार कर श्रंग्वेरपुर पहुंचे थे तभी से भगवान् राम जिस मार्ग से श्रृंग्वेरपुर गए उस मार्ग नाम ‘राम वन गमन मार्ग’ से जाना जाता है यही नहीं विवादित जन्म भूमि को मुक्त कराने के प्रथम आंदोलन में धर्म सम्राट के नाम से विख्यात भारतीय राम राज परिषद के संस्थापक स्वामी करपात्री का भी नाम शामिल है।

स्वामी करपात्री जी का जन्म प्रतापगढ़ में रामपुर खास विधान सभा के भटनी गांव में हुआ था, उन्होंने ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से नैष्ठिक ब्रह्मचारी के दीक्षा के बाद उनका नाम हरिहरानंद सरस्वती हुआ, लेकिन वह करपात्री के नाम से प्रसिद्ध थे, भगवान राम में आस्था होने के कारण उन्हें राम जन्म भूमि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण के आंदोलन का विगुल बजाने के लिए प्रेरित किया गया, स्वामी करपात्री जी ने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद का गठन किया, जो अखिल भारतीय राम राज्य परिषद हिन्दू वादी राजनीतिक दल के रूप में चर्चा में आया, 7 फरवरी 1982 ब्रह्मलीन हो गए, भगवान राम जन्म भूमि का विवाद तो लगभग पांच सौ साल पुराना है,1527 में बाबर के आदेश पर इस मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने कराया था और मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा, पौराणिक ग्रन्थ राम चरित मानस राम के अनुसार भगवान राम का जन्म स्थान अयोध्या में ही था, इस बात की प्रामाणिकता देश के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश ने भी प्रमाणित कर दिया, मुगल शासन में राम भक्तों की आवाज को कुंद करने के बाद सन 1947 में यह आवाज बलरामपुर के राजा बलरामपुर पाटेश्वरी प्रसाद सिंह, गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ, स्वामी करपात्री जी और तत्कालीन फैजाबाद के डीएम के.के. नायर ने बुलंद किया था, आज जब मंदिर के निर्माण की घड़ी है तो ऐसे अवसर पर स्वामी करपात्री जी का नाम न लिया जाय तो बेमानी होगी, राम जन्म भूमि में भगवान राम के अद्भुद और भव्य मन्दिर के निर्माण से समूचा प्रतापगढ़ गौरवान्वित है, जिस भगवान राम मंदिर के मुक्ति और जन्मभूमि पर राम मन्दिर निर्माण का सपना भारत ने देखा था, उसकी अलख इस जनपद के सपूत स्वामी करपात्री जी ने जगाई थी।