रायबरेली में स्मृति द्वार को लेकर दो दलों के नेताओं में छिड़ा रार

रायबरेली में स्मृति द्वार को लेकर दो दलों के नेताओं में छिड़ा रार

शिवा मौर्या/रायबरेली: प्रदेश में बढ़ रही चुनावी सरगर्मी के बीच रायबरेली में एक बार फिर राजनीतिक माहौल गर्म होता दिखाई दे रहा है, जहां स्मृति द्वार को लेकर सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के नेता आमने-सामने आ गए हैं, दरअसल मामला अमावा ब्लाक के अंतर्गत तकिया से लालूपुर को जाने संपर्क मार्ग का है, जहाँ पूर्व सांसद अशोक सिंह के स्मृति द्वार पर BJP नेता एमएलसी द्वारा अपना नाम लिखवा दिया, जिस पर रायबरेली कांग्रेस नेता मनीष सिंह ने बीजेपी नेता दिनेश प्रताप सिंह पर जमकर हमला बोला, मनीष सिंह ने कहा हमारे परिवार के नाम पर ओछी राजनीति बन्द करें हमारे बाबा, पापा, और चाचा,कोई पत्थर एवं स्मर्ति द्वार के मोहताज नहीं, वो यहां के लोगों के दिलों में बसते हैं, कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह भले ही बीते कुछ समय से बीजेपी के करीब हो गई हों लेकिन कांग्रेस से बगावत करके बीजेपी की गोद में बैठने वाले एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह से उनका मतभेद बरकरार है, अब उनके ही परिवार का एक नया मामला सामने आने से रायबरेली की सियासत गर्म है, बीजेपी के टिकट पर सोनिया गांधी के मुकाबले पर चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस के बागी विधान परिषद सदस्य दिनेश प्रताप सिंह की रणनीति के तहत पूर्व सांसद स्व. अशोक सिंह के नाम पर द्वार गेट लगाया गया, इत्तेफाक से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी एमएलसी दिनेश प्रताप के भाई ने संभाल रखी है, गेट के लगने के बाद अशोक सिंह के बेटे मनीष सिंह ने जमकर हमला बोला।

मनीष सिंह, कांग्रेस नेता

कांग्रेसी नेता मनीष सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हमारे परिवार का इतिहास रहा है, कि हम लोगों ने कभी किसी के नाम का सहारा लेकर राजनीति नहीं की, राजनीति के लिए जनता को गुमराह करने का काम हमारे परिवार का नहीं है, मेरे बाबा धुन्नी सिंह, पिता अशोक सिंह और चाचा अखिलेश सिंह ने कभी झूठी राजनीति नहीं की थी, अगर दिनेश सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष के नाम से ही द्वार लगवाना था, तो जिला परिषद रायबरेली के 21 वर्षों तक अध्यक्ष रहे पं रामशंकर त्रिपाठी जी के नाम गेट बनवाते, उनको इस मकाम तक पहुँचाने वाले उनके राजनैतिक गुरू और जिला परिषद रायबरेली के अध्यक्ष रहे रूद्र प्रताप सिंह के नाम से एक भव्य द्वार का निर्माण कराना चाहिए था, लेकिन अपने खोते जनाधार को बचाने के लिए जो सरकारी धन गेट बनाने पर लगाया है, उसका उपयोग जनपद के विकास कार्यों के लिए करते तो पूरे जनपद को लाभ होता, भ्रष्टाचार में डूबी जिला पंचायत को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करने वाले एमएलसी को अबकी बार जनता मुंहतोड़ जवाब देगी।

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