वैज्ञानिक ‘प्रफुल्ल चंद्र रे’ के सपनों से भारत बना हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का बड़ा उत्पादक

वैज्ञानिक ‘प्रफुल्ल चंद्र रे’ के सपनों से भारत बना हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का बड़ा उत्पादक

दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है इस वायरस के खिलाफ जंग में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, संकट के इस दौर में ताकतवर देश अमेरिका समेत पूरे विश्व में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की भारी मांग है, मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली इन दवाइयों का भारत बड़ा उत्पादक है, देश में क्लोरोक्वीन दवाई बनाने की सबसे बड़ी कंपनी बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड रही है, जिसकी स्थापना आज से 119 साल पहले आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे ने की थी, बंगाल केमिकल्स ने इस दवाई का उत्पादन आजादी के काफी पहले ही 1934 में शुरू कर दिया था, हालांकि पिछले काफी समय से बंगाल केमिकल्स ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का उत्पादन नहीं किया, बंगाल केमिकल्स दरअसल क्लोरोक्वीन फॉस्फेट बनाती रही है, जिसका उपयोग मलेरिया की दवाई के रूप में होता है, कभी भारतीय रसायन शास्त्र के जनक कहे जाने वाले आचार्य प्रफुल्ल चंद्र रे का सपना था, कि भारत को जीवनरक्षक दवाओं के लिए पश्चिमी देशों का मुंह न ताकना पड़े, आज दुनिया की कई बड़ी महाशक्ति कोरोना से निपटने के लिए भारत से मदद की गुहार लगा रही है

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