सावन का आज दूसरा सोमवार है, पहले सोमवार की भांति इस बार भी देशभर के मंदिरों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए शिव भक्त सुबह से अपने आराध्य की दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं|
मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की विशेष भस्म आरती की गई, भस्म आरती के पहले बाबा को जल से नहलाकर महापंचामृत अभिषेक किया गया, अभिषेक के बाद भांग और चंदन से भोलेनाथ का आकर्षक श्रृंगार किया गया फिर बाबा को भस्म चढाई गई, और फिर झांझ-मंजीरे, ढोल-नगाड़े और शंखनाद के साथ बाबा की भस्म आरती की गई, काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहले सोमवार की भांति दूसरे सोमवार भी श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंच रहे हैं|
पौराणिक मान्यता है कि भोले बाबा सृष्टि का कार्यभार देखने के लिए सावन के महीने में मां पार्वती, पुत्र कार्तिकेय और गणेश तथा नंदी गण के साथ कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं, इसलिए श्रणव मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है, इस बार श्रावण मास 300 साल बाद दुर्लभ संयोग हो रहा है, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुरू हुए श्रावण का समापन 3 अगस्त को रक्षाबंधन पर सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में ही होगा, एक माह में पांच सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या का एक साथ आना अपने आप में अद्वितीय है, ज्योतिषियों के अनुसार श्रावण मास में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का ऐसा विशिष्ट संयोग बीती तीन सदी में नहीं हुआ|