हरतालिका तीज व्रत आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जा रहा है, मान्यता है कि सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं, उन्हे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है, इस दिन वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं, विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण और यह कठिन माना जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती भगवान शंकर को पति रूप में पाना चाहती थीं, और इसके लिए वह कठीन तप करने लगीं, मां पार्वती ने कई वर्षों तक निराहार और निर्जल व्रत किया, एक दिन महर्षि नारद आए मां पार्वती के पिता हिमालय के घर पहुंचे और कहा कि आपकी बेटी पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं, और उन्हीं का प्रस्ताव लेकर मैं आपके पास आया हूं, यह बात सुनकर हिमालय की खुशी का ठिकाना ना रहा और उन्होंने हां कर दिया, इसके बाद नारद ने संदेश भगवान विष्णु को दे दिया और कहा कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री का विवाह आपसे कराने के लिए तैयार हो गए हैं, यह सुनकर मां पार्वती बहुत दुखी हो गईं और उन्होंने कहा कि मैं विष्णु से नहीं भगवान शिव से विवाह करना चाहती हूं, जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया, और रेत के शिवलिंग की स्थापना की, माता पार्वती ने जिस दिन शिवलिंग की स्थापना की वह हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का ही दिन था, इस दिन निर्जला उपवास रखा मां पार्वती की कठोर तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने मां पार्वती को मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया, मां पार्वती को ढूंढ़ते हुए उसी गुफा में महाराजा हिमालय पहुंच गए, मां पार्वती ने ऐसा करने की पूरी वजह बताई, इसके बाद ही भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ।